दर्शक
मणिपुर में बीते शनिवार को फिर से भड़की हिंसा के बाद राज्य में हालात बेकाबू हो गए हैं। इस बीच एनपीपी ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। एनपीपी ने मणिपुर सीएम बीरेन सिंह पर आरोप लगाया कि वे राज्य में बिगड़ते हालात संभालने में नाकाम रहे हैं।
मणिपुर के जिरीबाम में अगवा किए गए एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव को असम-मणिपुर सीमा पर बरामद होने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कुकी उग्रवादियों ने इनका अपहरण कर लिया था। इस नृशंस हत्याकांड ने पूरे राज्य में फिर सनसनी फैला दी है। नाराज लोग सड़क पर उतर आए और राज्य के तीन मंत्री और छह विधायक के आवास का घेराव कर तोडफोड़ करने लगे। नारे लगाते प्रदर्शनकारियों ने तीन विधायक के घरों में आग लगा दी गई। मंत्रियों के घरों पर हमलों के बाद गुस्साई भीड़ ने मणिपुर के सीएम के घर पर धावा बोलने की कोशिश की।
मणिपुर में इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में गुस्साई भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन और विधायकों तथा कांग्रेस के एक विधायक के आवास को आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर भी धावा बोलने की कोशिश की, हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) ने बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों पर भाजपा के पास 32 विधायकों का पूर्ण बहुमत है। एनपीपी के समर्थन वापस ले लेने से सरकार पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। एनपीपी के पास 7 विधायकों की ताकत है।
तीन बच्चों और तीन महिलाओं की हत्या के बाद उबाल
पुलिस ने बताया कि तीन शव मिले थे, शनिवार को तीन और शव बरामद किए गए। शवों पर जख्म के निशान थे। प्रदर्शनकारी उग्रवादियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर लोगों ने मंत्रियों और विधायकों के आवासों की ओर मार्च किया। पुलिस और सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इस बीच, मणिपुर सरकार ने शनिवार को गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर राज्य के छह थाना क्षेत्रों में लगाए गए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफ्स्पा) हटाने का आग्रह किया है। यह फैसला शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में किया गया था।Become a Member to get a detailed story
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