Ground Report: मैं कश्मीर हूं! नेताओं ने खुद को चमकाया, मेरी किस्मत कब बदलेगी?
cj
cj
Lok Sabha Elections 2024 : कश्मीर में बेरोजगारी और शांति सबसे बड़ा मुद्दा है। नेता 370 को लेकर सियासत कर रहे है। पढ़िए अनंतनाग से अनिल कैले के विशेष रिपोर्ट

Lok Sabha Elections 2024 : ‘मैं कश्मीर हूं। मैं एक बार फिर जनता की नुमाइंदगी के लिए सियासत का अखाड़ा बन रहा हूं। मेरी नुमांइदगी करने का मौका तलाशने वाले एक बार फिर मेरी तकदीर बदलने की कस्में खाएंगे। बड़े-बड़े वादों के पिटारे खोलेंगे। खुशी में शरीक होने और दुख में आंसू पोंछने का दिलासा दिलाएंगे। इतिहास गवाह है। सात दशक में न तो मेरी तकदीर बदली और न ही मेरी जनता का नसीब।’

कश्मीर को महसूस करें तो कुछ ऐसी ही है कश्मीर की व्यथा। खुद की किस्मत चमकाने के लिए सियासतदानों ने कश्मीर के साथ क्या-क्या खिलवाड़ नहीं किए। दुनिया को केसर और सेब की खुशबू से महकाने वाली हरी-भरी वादियों को देशवासियों ने दहशतगर्दों के हाथों लहूलुहान होते देखा है। दुल्हनों की मांग सूनी और माताओं की कोख उजड़ते देखी है। राखी बांधने के लिए बहनों का कभी खत्म न होने वाला इंतजार देखा है। हंसते-खेलते परिवार को अपने घर से बेघर होता देखा है। यह भी देखा कि कैसे चुनिंदा सियासी खानदानों ने कश्मीर की भोली-भाली जनता को पिट्ठू की तरह इस्तेमाल कर अपने घर भर लिए। कश्मीर की जनता के लिए एक बार फिर लोकसभा चुनाव मौका है ऐसे चालबाजों को सबक सिखाने का और ऐसे जनप्रतिनिधि चुनने का, जो अवाम की आवाज संसद में न केवल बुलंदी से उठाएं बल्कि सूबे के मसलों का निपटारा भी करवाएं। कश्मीर के इस सियासी जलसे की शुरुआत अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के साथ।

कई मायनों में अलग हैं चुनाव

इस बार की राजनीतिक जंग कई मायनों में अलग है। अनुच्छेद 370 हटने और परिसीमन के बाद यह पहला आम चुनाव है। पीरपंजाल पर्वत शृंखला के बीच कश्मीर और जम्मू संभाग में फैले अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में पहले अनंतनाग, कुलगाम और शोपियां जिले शामिल थे। अब पुंछ और राजोरी जिले को जोड़ा गया है। इसलिए चुनाव लड़ रहे बीस उम्मीदवारों को इलाके को नापने में ठंडे मौसम में भी पसीने आ रहे हैं। पहली बार कश्मीर घाटी में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को दो अन्य दल पीपुल्स कांफ्रेंस और अपनी पार्टी चुनौती दे रहे हैं। अपनी पार्टी का गठन पीडीपी के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने किया है। पीपुल्स कांफ्रेंस को सज्जाद गनी लोन चला रहे हैं। अपनी पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। पीपुल्स कांफ्रेंस बारामुला में चुनाव में उतरेगी। अपनी पार्टी ने श्रीनगर और अनतंनाग में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ गठबंधन के साथी हैं पर घाटी में सीटों पर समझौता ना हो पाने के कारण दोनों दलों ने तीनों सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। कांग्रेस के पूर्व दिग्गज गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी भी राजनीतिक भाग्य आजमा रही है।

मन अशांत और उद्वेलित

दूर से बहुत सुंदर और शांत दिखाई देते कश्मीर के बाशिंदों के चेहरे खिले नजर आते हैं। पर यह खुशी बनावटी है। उनके मन अशांत और उद्वेलित हैं। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर से 50 किलोमीटर पर बाईं ओर बिजबिहारा से जैसे ही अनंतनाग-पहलगाम की ओर रुख करते हैं, लोगों के मन की कसक जाहिर तौर पर महसूस हो जाती है। बिजबिहारा का सामरिक महत्व है। यहां 3.5 किलोमीटर की हवाई पट्टी बनाई गई है। हाल ही यहां लड़ाकू जेट विमान उतारकर सफल परीक्षण किया गया है। सड़क के साथ-साथ सेब के बगीचे हैं। बीच-बीच में अखरोट के पेड़ भी हैं। दोनों पर ही अभी फूल आए हैं, फल अक्टूबर तक आएंगे। यहां के निवासियों को तो पिछले लोकसभा चुनाव में डाले गए वोटों का सुखद फल अभी तक नहीं मिला। मुवेरा के पास लिदर नदी के राफ्टिंग पॉइंट के पास छलनी हुई सड़क के हालात तो यही बताते हैं कि स्थानीय मसलों पर ध्यान नहीं दिया गया।

मुद्दा दो जून की रोटी के संघर्ष का

अनंतनाग से पहलगाम की दूरी चालीस किलोमीटर है। पहलगाम लिदर नदी के किनारे बसा हुआ है। चिनार के पेड़ों से घिरी बेताब वैली और तुलियन लेक धरती पर स्वर्ग होने का अहसास करा रही है। पर्यटकों की भीड़ गवाही दे रही है कि घाटी में शांति और अमन कायम हुआ है। लिदर नदी भी शांत बह रही है। पर्यटक आने से रोजगार बढ़ा है। यहां अनुच्छेद 370 की कोई बात नहीं कर रहा। सबको दो जून की रोटी के संघर्ष की चिंता है।

महबूबा कर रहीं 370 की वापसी का वादा

पिछली बार नेशनल कांफ्रेंस के हसन मसूदी जीते थे। स्थानीय नेता महबूबा मुफ्ती वर्ष 2019 के चुनाव में तीसरी पायदान पर फिसल गईं थी। इस बार कह रहीं है कि मुझे जिता दोगे तो अनुच्छेद 370 वापस ले आएंगी। जनता 2016 में सत्ता के लिए महबूबा मुफ्ती के भाजपा से हाथ मिलाने का वाकया अभी तक भूली नहीं है। जनता नेशनल कांफ्रेंस को भी आजमाकर देख चुकी है, जिसने इस बार गुज्जर बक्करवाल समुदाय के एक वर्ग के धर्म गुरु अल्ताफ अहमद लारवी को चुनावी रण में उतारा है। अपनी पार्टी के जफर इकबाल मन्हास और डीपीएपी के सलीम पर्रे भी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं।

मतदान प्रतिशत बढ़ाना बड़ी चुनौती

जम्मू और कश्मीर संभाग को जोडऩे वाली मुगल रोड बर्फबारी से बार-बार बंद हो रही है, इसलिए चुनाव प्रचार में दिक्कतें आ रही हैं। मतदान की तारीख 7 मई की बजाय 25 मई कर दी गई है। दूसरी ओर, कुलगाम हो, शोपियां या राजोरी-पुंछ, पोस्टर, झंडी, बैनर नजर नहीं आ रहे। कांग्रेस जरूर नेशनल कांफ्रेंस के साथ प्रचार में जुटी है। महबूबा मुफ्ती के प्रचार की कमान उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने संभाल रखी है। तीसरी पीढ़ी को राजनीति में लाने की तैयारी दिख रही है। पिछली बार पूरे देश में सबसे कम 8.9 प्रतिशत मतदान अनंतनाग में ही हुआ था। राजोरी-पुंछ में हर बार अच्छा मतदान होता आया है। हो सकता है कि इन दोनों जिलों के मतदाता ही चौंकाने वाले नतीजे के लिए याद किए जाएं।

 


Become a Member to get a detailed story

  • Access to all paywalled content on-site
  • Ad-free experience across The PABNA
  • Listen to paywalled content
  • Early previews of our Special Projects

cj

chetan
Official Verified Account

Sr. Editor author and Co-founder of the PABNA, The Civilian and Citizen Journalist daily newspaper. Chetan reports on politics and current affairs. He is an active member and a renowned name in the Utter Pradesh media community.

आपकी प्रतिक्रिया?


आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

टिप्पणियाँ

https://pabna.in/assets/images/user-avatar-s.jpg
इसके लिए पहली टिप्पणी लिखें!