जेल में बंद अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ेगा, वकील का दावा, मां ने क्या बताया?
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अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने मीडिया को बताया कि संगत की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि उसे चुनाव लड़ना चाहिए.

जेल में बंद खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amrit Pal Singh) लोकसभा चुनाव लड़ सकता है. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वो पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ने वाला है. अमृतपाल फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. पिछले साल अप्रैल में पंजाब पुलिस ने उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतपाल सिंह के वकील राजदेव सिंह खालसा ने उसके चुनाव लड़ने की पुष्टि की है. खालसा ने एक्सप्रेस को बताया कि अमृतपाल निर्दलीय चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे डिब्रूगढ़ में आज (24 अप्रैल) अमृतपाल से मिले. अमृतपाल ने उनसे कहा कि वो खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ेगा.

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ये भी लिखा है कि एक मेनस्ट्रीम पार्टी अमृतपाल को बाहर से समर्थन देने पर विचार भी कर रही है.

हालांकि अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर ने मीडिया को बताया कि कल ही अमृतपाल की पत्नी उससे मुलाकात करके वापस आई हैं. लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं बताया है. बलविंदर ने बताया, 

"आज अमृतपाल के पिता उससे मुलाकात के लिए असम गए हैं. कल वे मुलाकात करेंगे. उसके बाद ही कुछ कन्फर्म किया जा सकता है. वैसे संगत की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि अमृतपाल को चुनाव लड़ना चाहिए."

 

कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह पिछले साल फरवरी में चर्चा में आया था. जब उसके समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला थाने का घेराव कर लिया था. तारीख थी 23 फरवरी, 2023. हजारों की संख्या में अमृतपाल सिंह के समर्थक अजनाला पहुंचे थे. उनके हाथ में बंदूक, तलवारें और लाठियां थीं. सबने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में थाने का विरोध किया था. उन सभी पर थाने पर हमला करने का आरोप लगा था. इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे.

लवप्रीत की गिरफ्तारी किडनैपिंग और मारपीट के मामले में की गई थी. वीरेंदर सिंह नाम के एक शख्स ने 16 फरवरी को अमृतपाल और उसके कुछ साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इसी मामले में पुलिस ने गुरदासपुर से तूफान सिंह उर्फ लवप्रीत को गिरफ्तार किया था. इसी गिरफ्तारी से बौखलाए अमृतपाल ने प्रशासन को खुलेआम धमकी देनी शुरू कर दी थी. उसने पुलिस को अल्टीमेटम दिया था कि अगर उसके साथी को नहीं छोड़ा गया तो वो अपने समर्थकों के साथ थाने का घेराव करेगा.

इससे पहले अमृतपाल किसान आंदोलन के दौरान भी चर्चा में आया था. तब वो दुबई में रह रहा था. 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर निशान साहेब फहराने की घटना का अमृतपाल ने फेसबुक लाइव पर बचाव किया था. इसी दौरान वो पहली बार लोगों की नजरों में आया. फरवरी 2021 में एक्टर दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के विरोध में उसने सोशल मीडिया पर सक्रिय तरीके से अभियान चलाया था. ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को दीप सिद्धू ने ही बनाया था. सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल इस संगठन का प्रमुख बन गया था.

अमृतपाल मूल रूप से अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लुपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है. हालांकि उसका परिवार लंबे समय से दुबई में रह रहा था. 1970-80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे भिंडरावाले को अमृतपाल अपना आइकन मानता है. अगस्त 2022 में अमृतपाल दुबई से भारत आ गया. यहां आने के बाद उसने खालिस्तान की मांग उठाने लगा. कई चैनलों को इंटरव्यू देना शुरू कर दिया. उसने जेल में बंद पूर्व खालिस्तानी अतिवादियों की रिहाई जैसे मुद्दों को उठाया.


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