क्या है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे का विवाद?
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे का विवाद 57 साल पुराना है। आइए जानते हैं कि इसकी स्थापना कैसे हुई और अदालत में चल रहा पूरा विवाद क्या है।

उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जे की वजह से इन दिनों सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने 8 नवंबर को 57 साल पुराने एक फैसले को रद्द कर दिया। उस फैसले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा पाने का हकदार नहीं है क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के तहत हुई है।यह मामला अब तीन जजों की पीठ को पुन: निर्धारण के लिए रेफर कर दिया है।

यह पीठ तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है या नहीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी और अल्पसंख्यक संस्थान वाला विवाद क्या है। क्या आप जानते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना कब हुई? क्या आप जानते हैं कि इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा कब मिला? आइए समझते हैं कि पूरा विवाद क्या है…

कब हुई AMU की स्थापना?

AMU की स्थापना 1875 में हुई थी, जब सर सैयद अहमद खान ने मदरसा-ए-तुलुम की शक्ल में इस विश्वविद्यालय की नींव रखी। 1875 में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (MAO College) के नाम से इसकी शुरुआत हुई। सन 1875 में निजी विश्वविद्यालयों को खोलने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उसे स्कूल के रूप में शुरू किया गया था।

कॉलेज से बनी यूनिवर्सिटी

सर सैयद अहमद खान के बेटे सैयद महमूद ने मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज फंड समिति के सामने AMU को स्वतंत्र यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव रखा। साल 1885 में इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मान्यता मिली। इसके बाद कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा देने के लिए आंदोलन होने लगे। 1907 में लड़कियों के लिए एक अलग स्कूल स्थापित हुआ और 1920 में यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।

AMU को कब मिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा?

साल 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के जरिए इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला। 1981 में एएमयू अधिनियम में हुए संशोधन की वजह से इसे प्रभावी रूप से अल्पसंख्यक दर्जा दिया था।

क्या है विवाद?

साल 2004 में विवाद शुरू हुआ। 2004 में इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। 2006 में हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक स्वरूप खारिज कर दिया। 2006 में एएमयू के साथ केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की। हालांकि, 2014 में केंद्र में सत्ता बदलने के बाद केंद्र ने 2016 में अपनी अपील वापस ले ली। 2019 में संविधान पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने 1 फरवरी 2024 को फैसला सुरक्षित कर लिया, जिसका फैसला 8 नवंबर को आया है।

एएमयू में कब क्या हुआ

● 1875 में मदरसे की स्थापना

● 1877 में एमएओ कॉलेज बना

● 1920 में एएमयू की स्थापना हुई

● 1951 में एक्ट में बदलाव किए

● 1965 में संसद से स्वरूप खत्म

● 1967 में सुप्रीम कोर्ट में संसद के फैसले पर मुहर

● 1981 में संसद ने स्वरूप बहाल किया

● 2006 में हाईकोर्ट ने स्वरूप खारिज किया

● 2016 में केंद्र ने हलफनामा वापस लिया

● 2019 में संविधान पीठ तय की गई

● 2024 सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया

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