धार भोजशाला सर्वे: 1000 साल पहले यहां होती थी मां सरस्वती की पूजा, अब होगा सर्वे
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Dhar Bhojshala ASI Survey: हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया है। 1000 साल पहले का इतिहास बताता है कि यहां परमार शासक राजा भोज ने सरस्वति मंदिर का निर्माण कराया था, पूजा पाठ का ये स्थल कैसे मस्जिद बना और कब विवादों में घिरा पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Dhar Bhojshala ASI Survey: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (High Court) की इंदौर खंडपीठ (Bench) ने ज्ञानवापी (Gyanvapi) की तर्ज पर धार के भोजशाला (Bhojshala) का सर्वे कराने का आदेश दिया है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) को पांच विशेषज्ञों की टीम बनाने को कहा है। टीम 6 सप्ताह में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। एसए धर्माधिकारी, देवनारायण मिश्र की बेंच ने यह आदेश दिए। यहां जाने भोजशाला का 1000 साल पुराना इतिहास और क्याें छिड़ा है विवाद

एएसआइ (ASI) को सर्वेक्षण में कार्बन डेटिंग (Carbon dating) अपनाने को कहा गया है। पूरे परिसर में पुरावशेष, चिह्न और श्लोक आदि की फोटो-वीडियोग्राफी करने का भी निर्देश दिया है। हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने कहा, पुरातात्विक महत्व के स्थलों का संरक्षण करना एएसआइ का दायित्व है।

धार भोजशाला (Bhojsahala) के लिए भी जल्द से जल्द पूर्ण वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और नवीनतम तरीके अपनाकर उत्खनन करे। साइट की जीपीआर-जीपीएस से जांच हो। आयु ज्ञात करने कार्बन डेटिंग विधि अपनाई जाए। मैदान, चल-अचल संरचनाएं, जमीन के नीचे और ऊपर, दीवारें, खंभे, फर्श, सतह, ऊपरी शीर्ष, गर्भगृह सहित परिसर में यह सर्वे किया जाए।

अधिवक्ता विष्णु प्रसाद जैन ने याचिका में बताया है कि यह 1000 साल प्राचीन वाग्देवी (सरस्वती) मंदिर है, जो एएसआइ की देखरेख में है। कई तस्वीरें भी हैं, जिनमें यह नजर आता है कि यह मंदिर है, मस्जिद नहीं। पास में ही प्राचीन जलकुंड है। यह मंदिर का हिस्सा है। भोजशाला के भीतर कमरा भी है, जहां एएसआइ का ताला है। भोजशाला में हवन का स्थान है।

संस्कृत में दीवारों पर श्लोक भी लिखे हैं। देवी-देवताओं की कई छवियां और मूर्तियां अभी भी मंदिर परिसर के भीतर है। कई मूर्तियां फर्श के नीचे हैं। हनुमानजी की एक बड़ी मूर्ति भी है। दीवारों, खंभों पर कई साक्ष्य और संकेत हैं।

छत पर धर्मचक्र और पारंपरिक हिन्दू शैली में नक्काशीदार छत है। नक्काशीदार खंभे हैं, जो मंदिरों में पाए जाते हैं। स्तंभ पर हिन्दू भगवान, देवी की छवि है। भवन के स्तंभ पर सूर्यदेव की खंडित छवि भी है। मस्जिदों में इस प्रकार के स्तंभ नहीं पाए जाते, जिसे देखते हुए अयोध्या व ज्ञानवापी की तरह वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की थी।

– भोजशाला परिसर का सर्वे और उत्खनन वैज्ञानिक विधि से होगा।

– भोजशाला की बाउंड्रीवॉल से 50 मीटर दूरी तक सर्वे होगा।

– एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारियों की 5 सदस्यीय कमेटी की निगरानी में सर्वे होगा।

– उत्खनन और सर्वे की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।

– सभी बंद कमरों, खुले परिसर व सभी खंभों का विस्तार से सर्वे।

– उत्खनन सर्वे की रिपोर्ट ६ सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश।

– मॉन्यूमेंट एक्ट के अंतर्गत एएसआइ का कर्तव्य है कि किसी स्थान पर आशंका है तो खुदाई कर तथ्यों को पहचाने।

– 2003 का कोर्ट का आदेश प्रथम मॉन्यूमेंट 1958 के विरुद्ध है।

– पूरे परिसर की एक पूरी सूची तैयार करें, जिसमें प्रत्येक कलाकृति, मूर्ति, देवता, या किसी संरचना की जानकारी हो।

– जांच के बाद क्षेत्र में पूजा और अनुष्ठान करने के अधिकार की याचिका पर विचार होगा।

1. हिंदू समाज मानता है कि भोजशाला मां वाग्देवी का मंदिर है, जिसे राजाभोज ने बनवाया। सन 1034 यहां संस्कृत की पाठशाला हुआ करती थी।

2. 1464 में मोहम्मद खिलजी ने धारानगरी पर आक्रमण कर भोजशाला को नष्ट कर मां वाग्देवी की प्रतिमा को खंडित कर परिसर से बाहर किया।

3. 1875 में खुदाई के दौरान मां वाग्देवी की मूर्ति मिली, जिसे 1980 में ब्रिटिश शासन के पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकेड अपने साथ लंदन ले गया। तब से ही मूर्ति लंदन संग्रहालय में है।

– वर्ष 2003 में लाखों श्रद्धालुओं ने मां वाग्देवी का पूजन किया।

– 6 फरवरी 2003 को भोजशाला मुक्ति के लिए 1 लाख से अधिक धर्मरक्षकों का संगम और संकल्प।

– 18-19 फरवरी 2003 को भोजशाला आंदोलन में 3 कार्यकर्ताओं का बलिदान हुआ और 1400 कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयां हुई।

– 8 अप्रैल 2003 को 650 वर्षों बाद हिंदुओं को दर्शन व पूजन का अधिकार प्राप्त हुआ। व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए। इसके तहत हर मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदुओं को पूजा की अनुमति और शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाज की अनुमति दी, पांच दिन भोजशाला पर्यटकों के लिए खुली रहती है।

– वर्ष 2006 में गुजरात के सीएम रहते हुए नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे भोजशाला।


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Sr. Editor author and Co-founder of the PABNA, The Civilian and Citizen Journalist daily newspaper. Chetan reports on politics and current affairs. He is an active member and a renowned name in the Utter Pradesh media community.

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