झूठे हलफनामे पर यूपी जेल विभाग के प्रमुख सचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

कोर्ट ने इस मामले मे मुख्य सचिव को इस मामले मे अधिकारियों के किये गए कृत्य पर अपना हलफनामा 24 अक्तूबर तक दाखिल करने का आदेश दिया I

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी जेल विभाग के प्रमुख सचिव को जारी किया अवमानना नोटिस. सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा, उनके द्वारा दाखिल किए गए झूठे हलफनामे के लिए उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए ? साथ ही यूपी सरकार के मुख्य सचिव को भी इस मामले मे अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया I 

क्या है पूरा मामला ?

जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पिछले तीन बार से सचिव द्वारा झूठ बोला जा रहा है Iहमने सोचा था कि उनके द्वारा इस बार सही जानकारी दी जाएगी लेकिन उनके जवाब मे विरोधाभास है Iअब हम सब कुछ देखेंगे I  

कोर्ट ने सुनवाई मे मौजूद सचिव से कहा आपको कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा क्योंकि आपने अदालत की अवमानना की है कोर्ट ने अपणे आदेश मे कहा कि यूपी जेल विभाग के प्रमुख सचिव श्री राकेश कुमार सिंह के द्वारा दाखिल हलफनामे और पूर्व के हलफनामों मे विरोधाभास है। - इसलिए प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि उसने झूठा हलफनामा दायर किया है I 

हम अधिकारी को नोटिस जारी करते है कि झूठा हलफनामा दाखिल करने के लिए उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए I 

कोर्ट ने कहा भले ही आपका ट्रांसफ़र हो गया हो लेकिन हम आपके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई करेंगे I  कोर्ट ने य़ह बात तब कहीं जब यूपी के पेश AAG गरिमा प्रसाद बताया कि यूपी जेल प्रशासन और सुधार के प्रधान सचिव तबादला कर दिया गया है और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी गई है I साथ ही य़ह भी बताया कि हमने  यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि कुछ भी गलत न हो, हालाकि अधिकारी ने गलत किया है I 

 

कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा आप कुछ और कह रहे है जबकि इनका का कहना है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव इस मसले पर कोई जवाब नहीं दे रहे है I  ऐसा विरोधाभास सरकार के लिए य़ह खेद का विषय है I जस्टिस ओक ने कहा य़ह एक अधिकारी ही नहीं बल्कि पूरे राज्य द्वारा जानबूझकर किया गया है I 

जस्टिस ओक ने कहा कि अधिकारियों द्वारा एक झूठ को छुपाने की कोशिश की जा रहीं है जो कि उनकी करनी से वो बाहर आ रहे है I अधिकारी ऐसा करते हुए वह भूल जाते है कि उनकी वजह से किसी और की स्वतंत्रता दांव पर है I  यहां तक कि याचिकाकर्ता की याचिका पर भी विचार नहीं किया जा पा रहा है I 

 

कोर्ट ने इस मामले मे मुख्य सचिव को इस मामले मे अधिकारियों के किये गए कृत्य पर अपना हलफनामा 24 अक्तूबर तक दाखिल करने का आदेश दिया I 

दरअसल एक मई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को छूट के लिए दोषी की याचिका पर विचार करने के लिए कहा था  और 13 मई को स्पष्ट किया कि चुनाव के कारण आचार संहिता दोषी की छूट के लिए दाखिल याचिका पर विचार करने के रास्ते में नहीं आएगी। - बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया गया और अधिकारी द्वारा कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं ली गई और अब दोष केस मे AOR पर दिया जा रहा है जबकि कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी अधिकारी को ओर से खुद लेनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को करेगा। पिछली सुनवाई मे उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग के प्रमुख सचिव से एक दोषी की सजा माफी की याचिका पर कार्रवाई में हुई देरी के लिए दिए गए विरोधाभासी स्पष्टीकरण पर सवाल उठाया था I