मैं दिल्ली के लोगों के हितों की रक्षा करूंगी',- आतिशी

आतिशी फिलहाल कालका से विधायक हैं। 2020 में वह विधायक बनीं, 2023 में वह मंत्री बनीं और अब 2024 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। दिल्ली में अभी तक सात मुख्यमंत्री रहे हैं। इसमें से दो महिला मुख्यमंत्रियों ने कमान संभाली हैं।

 आतिशी शुरू से शिक्षा क्रांति का महत्वपूर्ण चेहरा रही हैं। शिक्षा मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने जो काम किए उसमें आतिशी ने उन्हें काफी सहयोग किया। आतिशी मनीष सिसोदिया की सलाहकार रही हैं और हर रणनीति में उनका खासा योगदान रहा।

आतिशी फिलहाल कालका से विधायक हैं। 2020 में वह विधायक बनीं, 2023 में वह मंत्री बनीं और अब 2024 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इससे शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज दिल्ली मुख्यमंत्री का पद भार संभाल चुकी हैं। मौजूदा समय में आतिशी के पास कुल 13 मंत्रालय हैं। सियासी गलियारों में आतिशी को केजरीवाल के भरोसेमंद साथियों में से एक माना जाता है। आतिशी आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। 2013 में आम आदमी पार्टी ने जब सबसे पहले मेनिफेस्टो ड्राफ्ट जारी किया था, तो उसमें आतिशी को भी जगह दी गई थी।

आतिशी का जन्म दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और त्रिप्ता वाही के घर 8 जून 1981 को हुआ। आरंभिक शिक्ष स्प्रिंगडेल स्कूल में हुई और स्नातक की शिक्ष सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में हासिल की। इसके बाद शेवनिंग छात्रवृत्ति पर वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय परास्नातक की डिग्री लेने चली गईं। कुछ साल बाद ही उन्होंने ऑक्सफोर्ड से शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप उन्होंने परास्नातक की एक और डिग्री हासिल की।
इसके बाद वह आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में शिक्षक बन गईं। वह जैविक खेती और शिक्षा पर स​क्रिय रही। इस सिलसिल में वह भोपाल के एक एनजीओ के साथ काम करने लगी। इस एनजीओ में काम करते समय वह आम आदमी पार्टी और वकील प्रशांत भूषण के संपर्क में आईं। इसके बाद वह अन्ना आंदोलन में सक्रिय रही हैं और अब आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरा हैं। आतिशी साल 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ीं।
2020 विधानसभा चुनाव जीत के बाद भी मंत्रीमंडल में जगह न पाने वाली आज मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। इससे पहले वह सबसे ज्यादा मंत्रालय और विभाग रही हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सि​सोदिया के जेल जाने के बाद उन्होंने पार्टी और मंत्रालय बखूबी संभाला। इतना ही नहीं विपक्ष पर हमला करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं लगाई। यही विषय उनके पक्ष में गया।
तिशी का राजनीति से सीधे तौर पर कोई लेनादेना नहीं था। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से लौटने के बाद वह कई गैर लाभकारी संगठनों में काम करने लगीं। इस सिलसिले में वह मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में सात साल रहीं और वहां की जैविक खेती को बढ़ावा देने का काम किया। एनजीओ में काम करते करते अचानक आम आदमी पार्टी के कुछ सदस्यों से मुलाकात हुई फिर वह पार्टी में शामिल हो गईं।
मनीष सिसोदिया भी नहीं बनेंगे मंत्री मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी ऐलान कर दिया है कि वह अब अपना पदभार तभी ग्रहण करेंगे जब दिल्ली की जनता उन्हें कह देगी कि मेरा मनीष ईमानदार है। अब फैसला जनता के हाथ में है और हम अब जनता की अदालत में। गौरतलब है कि आतिशी शुरू से शिक्षा क्रांति का महत्वपूर्ण चेहरा रही हैं। शिक्षा मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने जो काम किए उसमें आतिशी ने उन्हें काफी सहयोग किया। आतिशी मनीष सिसोदिया की सलाहकार रही हैं और हर रणनीति में उनका खासा योगदान रहा। अप्रैल 2018 में वह इस पद से हटा दी गई थी।
गौतम गंभीर से चुनाव हार गई थी आतिशी आतिशी के राजनीतिक करियर की बात करें। उनका यह सफर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से शुरू हुआ। वो 2015 से 2018 तक दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम करती रहीं। ये तेज तर्रार ‘आप’ नेता पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी यानी पीएसी की मेंबर भी रह चुकी हैं। आतिशी ने 2019 में लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें गौतम गंभीर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।