दर्शक
भोपाल: 26 अप्रैल केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए मतदाताओं से उन्हें “राजनीतिक विदाई” देने की अपील की।
उन्होंने राजगढ़ लोकसभा सीट के तहत आने वाले खिलचीपुर में शुक्रवार को चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि श्रीमान बंटाधार से कहिए कि हम आपको राजगढ़ को बीमारु जिला नहीं बनाने देंगे।
उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय को राजनीति से “भव्य विदाई” देने की अपील करते हुए शायराना अंदाज में कहा, “अब समय आ गया है। इनको परमानेंट विदाई देने का। दिग्विजय की विदाई आपको करनी है। ‘मगर आशिक का जनाजा है, जरा धूम से निकले। भारी अंतर से हराकर उनकी विदाई करना। राजगढ़ वाले उन्हें घर पर बिठा दें, यही कहने आया हूं।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने सिंह के प्रति हमलावर रुख जारी रखते हुए कहा, “बंटाधार से कहो, हम आपको राजगढ़ को बीमारू जिला नहीं बनाने देंगे।”
'बंटाधार' शब्द का इस्तेमाल भाजपा सिंह पर आरोप लगाने के लिए करती है। भाजपा कहती है कि 1993 से 2003 के बीच मुख्यमंत्री के रूप में उनके 10 साल के शासनकाल में विकास कार्यों पर लगाम लग गई थी।
इससे पहले गुना लोकसभा क्षेत्र के पिपराई में गुना के मौजूदा सांसद केपी यादव की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘ गुना वालों आपको दो-दो नेता मिलेंगे । ज्योतिरादित्य भी मिलेंगे और केपी यादव भी मिलेंगे। केपी यादव ने इस क्षेत्र की बहुत अच्छी सेवा की है। केपी यादव की चिंता मुझ पर छोड़ देना, आपको कुछ करने की जरुरत नहीं है।’’
शाह ने गुना लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य के समर्थन में सभा में कहा, “गुना वालों आपका यह महाराज विकास को लेकर सबसे ज्यादा समर्पित है। सिंधिया घराने ने इस क्षेत्र का लालन पालन अपने बच्चे जैसा किया है। मैं राजा साहब के लिए वोट मांगने आया हूं। सिंधिया मेरे मित्र भी हैं, भाजपा के वरिष्ठ नेता भी है। इन्हें जिताते हुए यह याद रखना इन्हें दिया गया एक-एक वोट नरेन्द्र मोदी को जाएगा।’’
इस बार भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद केपी यादव को टिकट न देकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाया है।
सिंधिया का मुकाबला कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव से है।
साल 2019 के चुनावों में, सिंधिया कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा उम्मीदवार केपी यादव से 1.21 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। इससे पहले सिंधिया चार बार यह सीट जीत चुके थे। उनके पिता माधवराव और दादी विजयाराजे ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया को राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। लेकिन 2020 में, वह पार्टी से बगावत करके भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
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