महाप्रभु निकले  भ्रमण पर ! पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा I
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भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में रथ यात्रा की तैयारी पूरी हो गई है। रविवार को भगवान मंदिर से निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। इस दिन देश-दुनिया से करीब 15 लाख भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है।

भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा 7 जुलाई से शुरू हो चुकी है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हो रहे हैं, और इस बार यात्रा में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुई हैं। यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर तक पहुंचाया जाता है, जहां वे 7 दिनों तक आराम करते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा यहां आषाढ़ शुक्ल पक्ष में होती है और यह साल में एक बार होती है। यात्रा में भगवान जगन्नाथ के अलावा भले ही संपूर्ण सुभद्रा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ ध्वजा पर भी स्थान होता है। 53 साल बाद ऐसा मुहूर्त आया है कि जब एक ही दिन तीन उत्सव होंगे। भगवान का नवयौवन दर्शन, नेत्रोत्सव और रथयात्रा रविवार को ही निकलेगी। हर साल ये अलग-अलग दिन होते थे। रविवार को भोर 2 बजे से ही मंगलआरती से रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। इस दौरान मंदिर के अंदर सेवा देने वाले पुजारियों के अलावा और कोई नहीं रहेगा। करीब 2.30 बजे भगवान का स्नान होगा। हालांकि यह दोनों रस्म भागवान की प्रतिमूर्ति के साथ होगी।

15 दिन बाद स्वस्थ

भगवान जगन्नाथ बीमार होने के 15 दिन बाद स्वस्थ हुए हैं, तब तक उनकी प्रतिमूर्ति की पूजा हो रही थी। इसके बाद भगवान का पट खुलेगा और चंदन लगी विधान होगा। खिचड़ी प्रसाद और सेना पोटा लागी विधान में 4 से 5 घंटे लग जाएंगे। इसके बाद मंगला अर्पण होगा। दोपहर 12.30 बजे पहंडी निकलेगा। भगवान मंदिर से निकलकर रथ पर सवार होंगे। इसके बाद उनका श्रृंगार होगा। इस तरह दोपहर 2.30 बजे तक भगवान तैयार होंगे।

सबसे आगे होगा बलभद्र जी का रथ

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य माधव चंद्र पूजापंडा ने बताया कि शाम 5 बजे गजपति महाराज यानी पुरी के राजा दिव्यसिंह देबा छेरा पहरा विधान यानी झाड़ू लगाएंगे और रथ यात्रा शुरू हो जाएगी। सबसे आगे बलभद्र जी का रथ होगा और उनकी गति से ही तय होगा कि यात्रा एक दिन में पूरी हो पाएगी या नहीं। बलभद्र जी के पीछे बहन सुभद्रा का रथ रहता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ। अगर रास्ते में रात हो गई तो यात्रा वहीं रुक जाएगी। अगले दिन सोमवार को स्नान और मंगलआरती के बाद फिर से यात्रा शुरू होगी। 8 जुलाई को गुडिचा मंदिर पहुंचेंगे तो 9 जुलाई को अंदर प्रवेश करेंगे।

भक्तों की सुरक्षा का विशेष ध्यान

रथ यात्रा के दौरान भक्तों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य माधव चंद्र पूजापंडा ने बताया कि रथ यात्रा के दौरान दोनों तरफ पर्याप्त जगह रखा जाता है। यह किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति में एंबुलेंस के ग्रीन कोरिडोर बनाने के लिए रहता है। लगातार पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाता है। गर्मी रहने पर आगे-आगे पानी का छिड़काव किया जाता है। जगह-जगह मेडिकल पोस्ट बनाए जा रहे हैं। एक साथ 10 से 15 लाख लोग आ जाने पर मोबाइल नेटवर्क को लेकर समस्या आती है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन ने टेलीकॉम कंपनियों से कहकर अस्थायी मोबाइल टावर लगवाए हैं। 24 घंटे बिजली की उपलब्धता रहेगी। दो दिनों तक पुरी के सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। पूरे ओडिशा में सोमवार को सरकारी छुट्टी है।

पूरे शहर का किया गया है बीमा

पुरी मंदिर के सुरक्षा अधिकरी ने बताया कि रथ यात्रा के दिन मंदिर के अंदर 1000 से अधिक जवान सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे। सड़क किनारे जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वहीं मंदिर प्रबंधन की ओर से बताया गया कि रथ यात्रा के दौरान श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से पूरे म्यूनिसिपल एरिया का बीमा कराया जाता है। रथ यात्रा के दौरान किसी हादसे में मौत होने पर 5 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है।

इस बार सुरक्षा ज्यादा चाक-चौबंद

इस बार रथ यात्रा में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू शामिल हो रही हैं। वे दो दिनों तक पुरी में रहेंगी। इस वजह से सुरक्षा व्यवस्था ज्यादा मजबूत है। इसके अलावा प्रदेश के सभी विधायक, सांसद दर्शन के लिए यहां पहुंचेंगे। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि 180 प्लाटून फोर्स की यहां तैनाती की गई है। शुक्रवार को मॉकड्रील कर तैयारी का जायजा लिया गया।

तीन रथ बनते हैं, सभी का नाम अलग-अलग

नंदीघोष में भगवन जगन्नाथ: 16 पहिये वाले इस रथ को बनाने में 742 लकड़ी के टुकड़े लगते हैं। रथ की ऊंचाई 45 फीट 6 इंच होती है।
तलध्वज में बलभद्र: 14 पहिये वाले इस रथ को बनाने में लकड़ी के 731 टुकड़े लगते हैं। रथ की ऊंचाई 45 फीट रहती है।
देवदलन में बहन सुभद्रा: इस रथ में 12 पहिये होते हैं। इसे बनाने में 711 लकड़ी के टुकड़े लगते हैं। रथ की ऊंचाई 44 फीट होती है।
सबसे पहले बलभद्र जी का रथ, उनके पीछे सुभद्र और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ रहता है। रात 2 बजे से मंगल आरती, शाम 5 बजे शुरू होगी रथ यात्रा, ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट में एआई का उपयोग
  • 53 साल बाद ऐसा मुहूर्त जब नवयौवन दर्शन, नेत्रोत्सव और रथयात्रा एक ही दिन
  • पहले दिन 15 लाख भक्तों के आने का अनुमान
  • 15 जुलाई को गुडिचा मंदिर से लौटेंगे भगवान जगन्नाथ, 17 को सोने का श्रृंगार
  • पूरे शहर का बीमा, रथ यात्रा के दौरान किसी की मौत होने पर पांच लाख का मुआवजा

पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग

रथ यात्रा के दिन व्यवस्था बनाने में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी। यात्रा के दिन बहुत ही ज्यादा ट्रैफिक का दबाव रहेगा। अनुमान के अनुसार 500 बसों, 5000 अन्य गाडिय़ां और 20 हजार दोपहिया वाहन आएंगे। इन्हें संभालने के लिए हाइवे और पुरी शहर में 40 जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिन्हें कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से गाडिय़ों की गणना, जाम से बचाने और ट्रैफिक के फ्लो को बनाए रखने का काम होगा। इसमें ड्रोन की भी मदद ली जाएगी। ड्रोन और सीसीटीवी तत्काल कंट्रोल रूम में सूचना देंगे कि जाम की स्थिति बनने वाली है, वहां तैनात जवानों तक मैसेज जाएगा और वे उसे क्लीयर करेंगे। जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाकर पार्किंग, पास और अन्य जानकारी देंगे। टै्रफिक मॉनीटरिंग के साथ लोगों को संबोधित करने के लिए पहली बार ड्रोन का उपयोग होगा। वाट्सऐप चैटबोट के माध्यम से लोगों का नजदीकी पार्किंग और रास्ते का पता चल जाएगा। जगह-जगह स्कैनर लगा होगा, उसे स्कैन करते ही ट्रैफिक से संबंधित सारी जानकारी मिल जाएगी।

एक करोड़ से अधिक भक्तों के आने की उम्मीद

पूजापंडा समिति के सेके्रटरी माधव चंद्र पूजापंडा ने बताया कि 7 जुलाई से लेकर 17 जुलाई तक दुनियाभर से एक करोड़ से अधिक भक्तों के आने की उम्मीद है। इसके लिए पुरी शहर पूरी तरह से तैयार है। अगले चार दिन के लिए सभी होटल-लॉज बुक हो गए हैं। पुरी होटल एसोसिएशन के अनुसार, शहर में 6000 से अधिक छोटे-बड़े होटल और 2000 से अधिक लॉज हैं। किराया तीन दिन के पैकेज के आधार पर तय किया गया है। यह आम दिनों की अपेक्षा दो से तीन गुना अधिक है।

 

119 प्रकार की होती है सेवा

भगवान जगन्नाथ की सेवा सभी चार वर्ण के लोग करते हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र सभी की अलग-अलग जिम्मेदारी है। भगवान की कुल 119 प्रकार की सेवा होती है। हर सेवा के लिए अलग-अलग वर्ग है। कोई भी दूसरे की सेवा में दखल नहीं दे सकता। आमतौर पर भगवान को स्पर्श कर पूजा करने का अधिकार पूजापंडा को होता है। पूजा की प्रक्रिया की निगरानी शुद्र वर्ग करता है। किसी दिन पूजा में देरी हो गई या किसी विधान में चूक हो जाए तो शिकायत होती है। इसकी जांच होती है। संबंधित पुजारी को शोकॉज नोटिस जारी होता है।

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