लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो सकती है।
cj
cj
जो व्यक्ति 70 घंटे काम करता है, वह उन अतिरिक्त 15 घंटों में कुछ भी ज्यादा नहीं कर पाता। 50 घंटे काम करने के बाद कर्मचारी का आउटपुट कम हो जाता है और 55 घंटे काम करने के बाद और भी कम हो जाता है।

लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन की ओर से सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करने का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बयान के सामने आने के बाद वर्क लाइफ बैलेंस पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। हालांकि इस विचार से सभी लोग सहमत नहीं हैं। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उत्पादकता पर ध्यान देने की बात कही है, उन्होंने कहा कि घंटे नहीं बल्कि आउटपुट मायने रखता है। श्रम-संबंधी डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय कम वेतन पर लंबे समय तक काम कर रहे हैं, जबकि उत्पादकता काफी कम है।

51 फीसदी भारतीय हर सप्ताह 49 घंटे काम कर रहे

भारतीय श्रम कानून यह कहता है कि हर दिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं होना चाहिए। इसमें आधे घंटे का आराम भी शामिल है। कर्मचारियों को कम से कम एक दिन साप्ताहिक अवकाश का भी अधिकार है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार एक भारतीय कर्मचारी औसतन हर सप्ताह 46.7 घंटे काम करता है।

भारत सबसे अधिक काम करने वाले देशों में से एक है। यहां 51 फीसदी कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। आईएलओ के अनुसार यह 170 देशों में सबसे अधिक है। इसके विपरीत भारतीय कर्मचारी की न्यूनतम मासिक आय सबसे कम 220 डॉलर ही है। भारत में श्रम उत्पादकता (किसी देश की अर्थव्यवस्था का प्रति घंटा उत्पादन) सिर्फ 8 डॉलर है जो विकासशील देशों में सबसे कम है।

भारत में जी20 देशों में सबसे अधिक काम, पर वेतन कम

49 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक काम करनेवाले कर्मचारियों का प्रतिशत

टॉप-3 देश हर महीने वेतन

भारत 51.4 220 डॉलर

इंडोनेशिया 21.9 548 डॉलर

दक्षिण कोरिया 16.6 1978 डॉलर

सबसे कम काम करनेवाले देश

हर महीने वेतन

कनाडा 8.9 1883

फ्रांस 8.8 2016

रूस 1.8 534

स्रोत: आईएलओ

कुछ क्षेत्रों में उत्पादकता काफी धीमी

2022-23 में टॉप 5 सेक्टर में श्रम उत्पादकता(प्रतिशत में)

उद्योग साल दर साल ग्रोथ वित्त वर्ष 15-19 का औसत(प्रतिशत में)

कंस्ट्रक्शन 2.9 2.3

कृषि, 2.7 4.4

मछली पकड़ना

बिजनेस सर्विस 6.4 4.3

व्यापार 7.2 7.5

धातु के उत्पाद -3.3 0.6

खाद्य उत्पादन,

पेय पदार्थ, तंबाकू -5.2 12.6

लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता में वृद्धि नहीं

शोध से पता चलता है कि लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो सकती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जॉन पेनकेवेल द्वारा 2014 में किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन कहा गया कि एक निश्चित सीमा से ज्यादा काम करने से वास्तव में आपकी उत्पादकता कम हो सकती है। 50 घंटे काम करने के बाद कर्मचारी का आउटपुट कम हो जाता है और 55 घंटे काम करने के बाद और भी कम हो जाता है।

जो व्यक्ति 70 घंटे काम करता है, वह उन अतिरिक्त 15 घंटों में कुछ भी ज्यादा नहीं कर पाता। इसके अलावा, लंबे घंटे घातक भी साबित हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईएलओ के 2021 के विश्लेषण से पता चला है कि 2016 में लंबे समय तक काम करने के कारण लगभग तीन-चौथाई मिलियन लोग स्ट्रोक और हृदय रोग से मर गए। इनमें मध्यम आयु वर्ग और पुरुष सबसे अधिक प्रभावित हुए।


Become a Member to get a detailed story

  • Access to all paywalled content on-site
  • Ad-free experience across The PABNA
  • Listen to paywalled content
  • Early previews of our Special Projects

cj

PABNA
Official Verified Account

Print & Broadcast News Agency (PABNA) is Uttar Pradesh's premier news agency, with a reach that covers every corner of Uttar Pradesh. It employs more than 100 journalists and 200 stringers to cover almost every city and small town in Uttar Pradesh.

आपकी प्रतिक्रिया?


आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

टिप्पणियाँ

https://pabna.in/assets/images/user-avatar-s.jpg
इसके लिए पहली टिप्पणी लिखें!