दर्शक
लोकतंत्र, शासन का एक रूप है। इस प्रणाली के तहत देश की जनता अपने शासक को चुनती है। लोकतंत्र लोगों के लिए और लोगों के बारे में होता है। यानी ना कोई राजा और ना ही कोई गुलाम, सब एक समान हैं। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रित देश है। दरअसल, आज इस शासन प्रणाली की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में इंटरनेशनल डेमोक्रेसी डे की शुरुआत की थी। सबसे पहले 15 सितंबर को इंटरनेशनल डेमोक्रेसी डे 2008 में मनाया गया। इसके तहत दुनिया के हर कोने में सुशासन लागू करना है। International Democracy Day को कई संगठन और लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों के अंदर लोकतंत्र के लिए जागरूक करना है।
क्यों पारित किया गया था ये प्रस्ताव?
लोकतंत्र के कॉन्सेप्ट को स्वीकार करना बहुत महत्वपूर्ण है। मौजूदा वक्त में कई लोग लोकतंत्र के सिद्धान्त को तोड़ना या पकड़ना चाहते हैं। International Democracy Day एक प्रस्ताव के जरिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में 8 नवंबर 2007 को लोकतंत्र की घटना को प्रोत्साहित करने और मजबूत करने के लिए पारित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुसार, समाज में मानवाधिकारों और कानूनों के नए नियम की हमेशा रक्षा की जाती है। International Democracy Day का अस्तित्व का श्रेय लोकतंत्र के यूनिवर्सल घोषणा को जाता है, जिसे 15 सितंबर, 1997 को अंतर संसदीय संघ (IPU) के जरिए अपनाया गया था।
इंटरनेशनल डेमोक्रेसी डे सभी लोगों, सरकार से मानवाधिकारों का सम्मान करने और लोकतंत्र में सार्थक भागीदारी प्रदान करने की अपील करता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों के अंदर लोकतंत्र के लिए जागरूक करना है। 15 सितंबर को हर साल इस खास दिन लोकतांत्रिक जागरूकता बढ़ाने के लिए अलग-अलग जगहों पर वाद-विवाद, चर्चा और सम्मेलन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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