संपादकीय: आर्थिक विषमता को घटाने में बनें सहायक
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दुनिया के सबसे अमीर लोगों के 50 शहरों की सूची में भारत के मुंबई और दिल्ली का भी नाम शामिल है। इसके अलावा, बेंगलूरु को अगले दशक में सबसे तेजी से बढ़ते करोड़पतियों के शहर के रूप में चिन्हित किया गया है। वहीं, एक और खबर यह है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में इस साल

दुनिया के सबसे अमीर लोगों के 50 शहरों की सूची में भारत के मुंबई और दिल्ली का नाम भी शामिल है। इसके साथ ही, बेंगलूरु को अगले दशक में सबसे तेजी से बढ़ते करोड़पतियों के शहर के रूप में चिह्नित किया गया है। वहीं, एक और तथ्य यह भी है कि 2022 में प्रवासी भारतीयों ने दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अपने घरों में सबसे अधिक धन भेजा। ये सभी बातें देश में बढ़ती समृद्धि की ओर संकेत करती हैं। 

लेकिन इस सफलता के साथ एक गंभीर समस्या भी है: भारत में आर्थिक असमानता की खाई घटने के बजाय बढ़ती जा रही है। इसका सीधा मतलब है कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे महानगर जैसे मुंबई और दिल्ली व्यावसायिक केंद्र हैं, जहां औद्योगिक प्रगति और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल के कारण तेज़ी से विकास हो रहा है। वास्तव में, मुंबई और दिल्ली में करोड़पतियों की संख्या में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। लेकिन जब भी इस तरह की आर्थिक प्रगति होती है, तो अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है।

यह भी सच है कि कोविड-19, युद्ध, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बावजूद भारत ने आर्थिक दृष्टि से संतोषजनक प्रगति की है। पिछले डेढ़ दशक में किए गए प्रयासों के कारण करोड़ों लोग गरीबी से उबरने में सफल हुए हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि अगले पांच सालों में भारत में 'सुपर रिच' लोगों की संख्या बढ़ेगी। हालांकि, आर्थिक असमानता का एक मुख्य कारण कल्याणकारी योजनाओं का जरूरतमंदों तक सही ढंग से न पहुंच पाना भी है।

एक तरफ करोड़पतियों के शहरों की सूची में भारतीय शहरों का नाम गर्व का अनुभव कराता है, वहीं दूसरी तरफ यह चिंता भी उत्पन्न होती है कि बड़ी आबादी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पा रही है। बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याएं इसका एक कारण हैं, लेकिन अमीर लोगों के योगदान पर भी सवाल उठते हैं। 'सुपर रिच' बनने वाले लोग शायद ही असमानता को दूर करने में सक्रिय रुचि दिखाते हैं, जबकि वे भारतीय संसाधनों का उपयोग कर के ही इस श्रेणी में आए हैं। करोड़पतियों के शहर बढ़ने चाहिए, लेकिन इस वर्ग को गरीब लोगों के लिए अधिक आय के साधन उपलब्ध कराने में सहायक बनना होगा। तभी आर्थिक असमानता को कम करने का वास्तविक प्रयास किया जा सकेगा।


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Sr. Editor author and Co-founder of the PABNA, The Civilian and Citizen Journalist daily newspaper. Chetan reports on politics and current affairs. He is an active member and a renowned name in the Utter Pradesh media community.

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