पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में अशांति और उबाल जारी है। इस बीच मैतेई समाज के नागरिक संगठनों ने NDA विधायकों के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसमें कुकी विद्रोही गुटों के खिलाफ ठोस कदम उठाने का आह्वान किया गया था। राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के विधायकों ने सोमवार की रात एक बैठक कर एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ 7 दिनों के अंदर बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का आह्वान किया गया था। इस बैठक में 27 विधायकों ने भाग लिया था लेकिन मैतेई समाज के नागरिक संगठनों ने इसे खारिज कर दिया है और सरकार को 24 घंटे के अंदर कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया है।बयान में कहा गया है, ‘‘छह निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिन के भीतर बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया जाए।’’इसमें यह भी कहा गया है कि छह निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों को सात दिन के भीतर ‘गैर कानूनी संगठन’ घोषित किया जाए। प्रस्ताव में कहा गया कि मामले को जांच के लिए तुरंत राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपा जाए।
बयान में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार 14 नवंबर के आदेश के अनुसार तत्काल प्रभाव से अफस्पा (सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम) लागू करने की समीक्षा करेगी। इसके अलावा अगर इन प्रस्तावों को निर्धारित अवधि के भीतर लागू नहीं किया जाता है, तो सभी राजग विधायक मणिपुर के लोगों के परामर्श से आगे की कार्रवाई तय करेंगे। प्रस्ताव में कहा गया है कि मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सभी आवश्यक कदम जल्द से जल्द उठाएंगी। विधायकों ने मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों पर हमले की भी निंदा की।
मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति के निष्कर्षों के आधार पर उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। इस बीच, पड़ोसी राज्य असम ने मणिपुर के साथ अपनी सीमा सील कर दी है। उनको ये डर है कि कहीं हिंसा उनके राज्य में भी न फैल जाए। असम पुलिस ने राज्य के बॉर्डर पर कमांडो तैनात कर दिए हैं और कहा है कि उनके पास बेड एलिमेंट्स के बॉर्डर पार करने की कोशिश को लेकर इनपुट हैं।बता दें कि पिछले साल मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़क गई थी। तभी से मणिपुर में अशांति है। यह अशांति तब और भड़क गई जब, इस महीने की शुरुआत में जिरीबाम जिले में महिलाओं और बच्चों समेत 6 लोगों की हत्या कर दी गई। इसके बाद हिंसा का एक नया दौर शुरू हो गया है। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार को और ज्यादा सुरक्षा बल भेजना पड़ा है।
इस घटना की वजह से राज्य में सियासी उबाल भी जारी है। एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर भी संकट आ गया है क्योंकि लोग अब सीएम से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। बीरेन सिंह सरकार में शामिल कोर्नाड संगमा की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसी के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार को एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाई थी लेकिन उसमें भी 38 में से 11 विधायक शामिल नहीं हुए।