महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर कहा था कि उनकी भाषा आतंकवादियों जैसी है। इस पर जवाब देते हुए यूपी सीएम ने कहा कि मैं तो एक योगी हूं, जिसके लिए देश सबसे पहले है। लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे को मेरे बजाय रजाकारों के बारे में बोलना चाहिए, जिन्होंने उनके घर में आग लगा दी थी। उनकी मां, बहन और परिवार के अन्य लोग उसमें जिंदा जल गए थे। तब से ही महाराष्ट्र की राजनीति में रजाकार भी एक मुद्दा बन गए हैं। माना जा रहा है कि इससे मराठवाड़ा बेल्ट में ध्रुवीकरण भी हो सकता है।
क्या थी घटना, जिसे योगी आदित्यनाथ दिला रहे याद
देश की आजादी के बाद 1947 में करीब 500 रियासतें ऐसी थीं, जिनका भारत में विलय होना था। सभी रियासतों का आसानी से विलय हो गया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद को लेकर थोड़ी समस्या थी। हैदराबाद में निजाम का शासन था और वहां थोड़ा विद्रोह भी हुआ। इस पर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के आदेश पर ऑपरेशन पोलो चलाया गया। तीन दिन के ऑपरेशन के बाद ही हैदराबाद का भारत में विलय हो गया था। हालांकि इन तीनों में रजाकारों ने जमकर बवाल काटा था। बता दें कि रजाकार निजाम की सेना को कहा जाता था।
रजाकारों ने किन लोगों को बनाया था निशाना
रजाकारों ने उस दौरान भारत में शामिल होने का समर्थन करने वाले आम नागरिकों पर अत्याचार किए थे। इनमें से ज्यादातर लोग गैर-मुस्लिम ही थे, जो हिंसा का शिकार बने। मल्लिकार्जुन खरगे भी एक बार बता चुके हैं कि वह घर के बाहर खेल रहे थे और उनके पिता खेत में काम कर रहे थे। इसी दौरान रजाकारों की भीड़ ने घर पर हमला कर दिया और आग लगा दी। इसमें उनकी मां, बहन और परिवार के अन्य लोग जिंदा जल गए। यह हमला रजाकारों ने किया था, जिन्हें निजाम ने उन लोगों को कुचलने का आदेश दिया था, जो भारत में शामिल होने के समर्थक थे। अंतत: ऑपरेशन पोलो के चलते निजाम को झुकना पड़ा और 17 सितंबर, 1948 को हैदराबाद का विलय हो गया।
महाराष्ट्र में क्यों उठ रही रजाकारों की बात
दरअसल महाराष्ट्र का वह हिस्सा जिसे मराठवाड़ा कहा जाता है, वह एक दौर में तत्कालीन हैदराबाद का हिस्सा था। इस पर निजाम का शासन था और अधिकतर जिले हिंदू बहुल थे, लेकिन शासक मुस्लिम थे। औरंगाबाद, बीड़, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, उस्मानाबाद और परभणी जैसे जिले निजाम के शासन में थे। खरगे का गांव वरवट्टी जो कर्नाटक में है, वह भी उस दौर में हैदराबाद के अंतर्गत आता था। तब कर्नाटक के कलबुर्गी, रायचुर, कोप्पल और बल्लारी जैसे इलाके हैदराबाद स्टेट का ही हिस्सा थे।