हर साल 20 अक्तूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को हड्डियों की सेहत के प्रति जागरुक करना है। विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हड्डी से संबंधित रोगों के बारे में जानकारी देने और उसके रोकथाम के उपायों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
बता दें कि ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती है। जिसकी वजह से हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस के इतिहास, महत्व, उद्देश्य और थीम के बारे में बताने जा रहा हैं।
इतिहास
ब्रिटिश नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस सोसाइटी द्वारा 20 अक्तूबर 1996 को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस की शुरुआत की गई थी। इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य हड्डियों की बीमारियों के प्रति लोगों को जागरुक करना है। फिर अंतर्राष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन ने 1997 में इसको एक वैश्विक आयोजन में बदल दिया। इससे इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ा। IOF ने विश्वभर में इस दिन को ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के स्वास्थ्य के महत्व को पहचानने के लिए एक अहम अवसर के रूप में मनाया जाने लगा।
उद्देश्य और महत्व
बता दें कि इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी की गंभीरता और उसके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरुक करना है। इस दिन तमाम तरह के कार्यक्रम, जागरुकता शिविर, स्वास्थ्य जांच शिविरों और संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है। डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट इस बीमारी से बचाव के लिए सही डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल के बारे में बताते हैं। विशेष रूप से वृद्ध लोगों, महिलाओं और उन लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है, जिनमें विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होती है।
थीम
हर साल विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस के मौके पर खास थीम रखी जाती है। इस बार यानी की साल 2024 में 'नाजुक हड्डियों को कहें ना' थीम रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य लोगों को हड्डियों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है।