करवा चौथ व्रत का इतिहास बहुत पुराना है। वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार प्राचीन काल में देव दानव युद्ध के समय ब्रह्माजी ने देवताओं की पत्नियों को अखंड सुहाग के लिए इस व्रत का सुझाव दिया था, तभी से संसार में कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को इस व्रत की शुरुआत हुई।
इस साल यह व्रत 20 अक्टूबर रविवार को है और चतुर्थी तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 बजे संपन्न होगी। इस व्रत में महिलाएं पति की दीर्घायु तरक्की और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए करीब 12 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं और पूजा पाठ के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। हालांकि दोनों के व्रत रखने के नियम अलग हैं। बहरहाल आइये जानते हैं व्रत का मुहूर्त..
करवा चौथ व्रत पूजा मुहूर्तः शाम 05:46 बजे से शाम 07:02 बजे तक
(कुल 1 घंटा 16 मिट तक)
करवा चौथ पर जयपुर में चंद्रोदयः रात 8.05 बजे
(नोटः अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय के समय में कुछ परिवर्तन हो सकता है, उदाहरण के लिए उदयपुर में चंद्रोदय रात 8.19 बजे )
करवा चौथ व्रत का समयः सुबह 06:25 बजे से शाम 07:54 बजे तक
(कुल 1 घंटा 16 मिट तक)
करवा चौथ पर जयपुर में चंद्रोदयः रात 8.05 बजे
(नोटः अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय के समय में कुछ परिवर्तन हो सकता है, उदाहरण के लिए उदयपुर में चंद्रोदय रात 8.19 बजे )
करवा चौथ व्रत का समयः सुबह 06:25 बजे से शाम 07:54 बजे तक
(नोटः सरगी सूर्योदय से पहले रात में ही खा लेना चाहिए)
करवा चौथ की पूजा सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)
करवा चौथ की पूजा के लिए करवा (मिट्टी का बर्तन, लोटे जैसा), दीया (तेल और बाती), थाली (पूजन थाल), मिठाई (खासकर मीठी मठरी), चंदन और रोली, धूप और अगरबत्ती, फल (5 प्रकार के), जल का लोटा, सुहाग का सामान जैसे कंघी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि की जरूरत होती है। इसके अलावा शिव परिवार का चित्र आदि पहले से जुटा लेना चाहिए। इस दिन घरों में कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं।
व्रत की शुरुआत सरगी के साथ करवा चौथ व्रत की तैयारी सूर्योदय से करीब दो घंटे पहले शुरू हो जाती है। इसमें सास अपनी बहू को फल, मिठाई, मेवा, और सिंघाड़ा आदि की टोकरी देती है, इससे व्रती खाती हैं और फिर स्नान ध्यान के बाद लाल रंग के कपड़े पहनें, शादी का जोड़ा भी पहन सकती हैं। इसके बाद निराहार निराजली व्रत शुरू करने की प्रक्रिया शुरू करिए।
स्टेप बाय स्टेप करवा चौथ की पूजा की विधि
1. करवा चौथ व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ-सुधरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद साफ हाथों से घर की दीवारों पर गेरु से करवा का चित्र बनाएं। सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थल पर माता पार्वती, भगवान शिव, गणेशजी, कार्तिकेय की तस्वीर को रखें।
3. एक करवा में जल भरकर पूजा के स्थान पर रखें और उसमें जल भरें।
4. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें और बड़े लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
5. शाम के लिए पूजा के लिए थाली तैयार कर लें, फिर एक चौकी पर करवा माता की तस्वीर रखें, उसके बाद दीया जलाएं।
6. गौरा पार्वती, चौथ माता और पूरे शिव परिवार की पूजा करें। करवा चौथ की कथा सुनें और पति की दीर्घायु के लिए मन ही मन प्रार्थना करें।
7. चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी की सतह पर जलता हुआ दीया रखकर चंद्र दर्शन करें, फिर इसी से पति का मुंह देखें।
8. चंद्रमा को देख कर अपनी पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें, फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत को खोलें। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेकर करवा को सास या किसी सुहागिन स्त्री को दे दें, और उनके पैर छू लें।
चांद को अर्घ्य देने का सही तरीका
1. शाम को चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देने से पहले पूजा का विधान है। चांद को अर्घ्य देने के लिए एक थाली में पानी भरें और उसमें कुछ गेहूं के दाने डालें। इस थाली को दोनों हाथों से पकड़े और चंद्रमा की ओर दिखाते हुए प्रार्थना करें कि हे चंद्रमा, कृपया मेरे पति को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें।
2. चांद को अर्घ्य देने के बाद, उस थाली में मौजूद अन्य पूजा सामग्री को भी चंद्रमा की ओर दिखाएं। फिर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें। फिर छलनी में दीया रखकर उसकी ओट से चंद्रमा को फिल अपने पति को देखें।
3. इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें और प्रसाद बांटें।
करवा चौथ पर लड़कियों के लिए नियम
1. करवा चौथ पर यदि कुंवारी लड़कियां व्रत रखती हैं तो उन्हें निर्जला व्रत रखने की जरूरत नहीं है और न ही उन्हें सरगी और बायना की जरूरत है। लड़कियों को फलाहार करना चाहिए।
2. अविवाहित लड़की करवा चौथ का व्रत रखती है तो शिव पार्वती की पूजा में शामिल हों, लेकिन पूजा करने की जरूरत नहीं है। बाद में तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। लेकिन उन्हें छलनी का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है और न ही थाली घुमाने की रस्म करने की जरूरत है।