प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार सत्ता में आने के बाद गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगा फहराया। लाल किले की प्राचीर से उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने लाल किले से एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। उन्होंने 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का सबसे लंबा भाषण दिया। पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 98 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया. यानी उन्होंने डेढ़ घंटे से ज्यादा का भाषण दिया। इससे पहले उन्होंने साल 2016 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 96 मिनट का भाषण दिया था।
पीएम मोदी ने अपने भाषण से कई तरह के संदेश दिए और साफ तौर पर अपनी प्राथमिकताओं को बताया।हिंदुओं के मुद्दे पर उन्होंने बांग्लादेश की सरकार को साफ संदेश दे दिया। वहीं देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चल रही कार्रवाई को लेकर भी साफ संदेश देने का काम किया। सरकार की तरफ से जारी सुधारों को लेकर भी पीएम मोदी पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिखें। शिक्षा और रोजगार के मुद्दे को भी पीएम मोदी ने अपने लाल किले से संबोधन में प्रमुखता से रखा। 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से आज देश को संबोधित किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने से लेकर भारत के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर अपने विजन का जिक्र किया। अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने महिला सुरक्षा और रिफॉर्म्स पर भी अपनी बात रखी।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश को नया ‘समान नागरिक संहिता (UCC)’ और ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसा तोहफा दिया जाए। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) की वकालत की। बता दें कि UCC या समान नागरिक संहिता बीजेपी के संकल्प पत्र में से एक रहा है। बीजेपी के बड़े से लेकर छोटे तबके नेता इसे देश में लागू करने की बात कहते रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का लाल किले से इस मुद्दे पर बोलना इस बात का संकेत दे रहा है कि बीजेपी अपनी सकंल्प पत्र का एक और बड़ा वादा पूरा करने जा रही है।
प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा , “मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो। व्यापक चर्चा हो और सब अपने सुझाव लेकर आयें और उन कानूनों को जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है और इसीलिए मैं तो कहूंगा, अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताये हैं अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा और तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं सामान्य नागरिक को उससे मुक्ति मिलेगी।”