माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की हत्या में राज्य और पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं थी। यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसे टालना संभव नहीं था। 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में हुई माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय आयोग की जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है। आयोग के मुताबिक, घटना में पुलिस तंत्र या राज्य तंत्र का कोई संबंध, कोई सुराग या सामग्री या कोई स्थिति प्राप्त नहीं हुई है।आयोग के मुताबिक, अतीक को गुजरात की साबरमती जेल से और अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाने और ले जाने के लिए पुलिस गार्ड और एस्कॉर्ट नियमावली के अधीन अनिवार्य पुलिसकर्मियों की संख्या से कहीं अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। मानक के मुताबिक, राज्य के भीतर तीन पुलिसकर्मी और राज्य के बाहर पांच पुलिसकर्मी सुरक्षा में होते हैं। पुलिस रिमांड के दौरान भी दोनों की सुरक्षा के लिए 21 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। आयोग के मुताबिक, दोनों को जेलों से लाने वाले और रिमांड के दौरान सुरक्षा में तैनात होने वाले पुलिसकर्मियों में कोई समानता नहीं थी।
जांच रिपोर्ट को योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जिसके बाद योगी कैबिनेट ने इस जांच रिपोर्ट को सदन पटल पर रखने की मंजूरी दी थी।
तीन युवकों ने अतीक और अशरफ पर किया था हमला
गैंगस्टर अतीक और अशरफ को प्रयागराज के अस्पताल परिसर में 15 अप्रैल 2023 को गोली मार दी गई थी। इस हत्याकांड के मौके से ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अतीक अशरफ हत्याकांड में पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों शूटर लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। उस समय पुलिस का कहना था कि अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या जुर्म की दुनिया में नाम कमाने के लिए की गई थी। इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड हमरीपुर का रहेनवाला सनी सिंह था। पुलिस के मुताबिक इन हमलावरों की अतीक और अशरफ से कोई निजी दुश्मनी नहीं थी।
मीडिया की भूमिका पर सवाल
आयोग ने जांच के निष्कर्ष में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने लिखा है कि अतीक और अशरफ की गतिविधियों पर नजर रखने और उनकी बाइट लेने के अपने प्रयास में मीडिया कर्मियों द्वारा किसी आत्मसंयम का परिचय नहीं दिया गया। अतीक और अशरफ ने भी मीडिया को खूब उकसाया। आयोग ने कहा कि अतीक को साबरमती से और अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाने तक मीडिया हर मौके पर मौजूद रही और लगातार लाइव कवरेज करती रही।सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद पुलिसकर्मी मीडिया को अतीक और अशरफ से दूर रखने में असमर्थ रहे। आयोग ने निष्कर्ष में लिखा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि जिन स्थानों पर खूंखार अपराधियों को ले जाया जाता है, पहले उसे साफ किया जाए और वहां केवल चयनित व्यक्तियों को संपर्क की अनुमति दी जाए।