बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थीं। जानिए ये घटनाएं क्या हैं

23 मई को वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा है। इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन भगवान बुद्ध से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थीं? जानिए ये घटनाएं क्या हैं और भगवान बुद्ध की दयालुता की एक कहानी भी।

23 मई को वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा है। इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन भगवान बुद्ध से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण घटनाएं घटी थीं? जानिए ये घटनाएं क्या हैं और भगवान बुद्ध की दयालुता की एक कहानी भी।

बुद्ध पूर्णिमा की तीन महत्वपूर्ण घटनाएं:

1. जन्म: गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में इसी दिन हुआ था। उनका जन्म एक राजा के घर हुआ, लेकिन उन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग कर मानवता के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

2. ज्ञान प्राप्ति: कई वर्षों की कठिन तपस्या और ध्यान के बाद, गौतम बुद्ध को इसी दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद वे 'बुद्ध' यानी 'ज्ञानी' कहलाए।

3. महापरिनिर्वाण: बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इस घटना के साथ ही उनका सांसारिक जीवन समाप्त हो गया और वे निर्वाण को प्राप्त हो गए।

भगवान बुद्ध की दयालुता की कहानी:

एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक घायल पक्षी जमीन पर पड़ा हुआ है। बुद्ध ने तुरंत उसे उठाया और अपने शिष्य से कहा कि वह उसकी देखभाल करे। उन्होंने अपने शिष्य को सिखाया कि हर जीव में जीवन का सम्मान करना चाहिए और दया का भाव रखना चाहिए। बुद्ध के इस कार्य से उनके शिष्यों ने सिखा कि करुणा और दया ही सच्ची मानवता है।

इस प्रकार, बुद्ध पूर्णिमा न केवल भगवान बुद्ध की महान शिक्षाओं का प्रतीक है, बल्कि उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को भी स्मरण कराती है। इस दिन उनके द्वारा सिखाए गए करुणा, दया और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है।

भगवान बुद्ध को मिला था बुद्धत्व

ऐतिहासक ग्रंथों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों के माध्यम से दुनिया को रास्ता दिखाया।

बुद्ध का निर्वाण दिवस

वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था। बुद्ध पूर्णिमा के दिन हिंदू और बौद्ध दोनों संप्रदायों के लोग दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य करते हैं। मान्यता है कि इस दिन स्नान ध्यान से अत्यधिक पुण्य मिलता है। वहीं हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन मिष्ठान, सत्तू, जलपात्र, वस्त्र दान करने और पितरों का तर्पण करने से अत्यधिक पुण्य और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

बौद्ध धर्म के आज होने वाले आयोजन

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन बौद्ध समुदाय के लोग घरों में दीपक जलाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। बहुत सारे बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थना करते हैं, बौद्ध धर्मग्रंथों का पाठ करते हैं। मंदिरों और घरों में भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है, अगरबत्ती लगाकर मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाते हैं।

वहीं बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है और उसकी शाखाओं पर हार, रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं। पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है। गरीबों को भोजन और वस्त्र दिए जाते हैं। दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहां आकर प्रार्थना कर सकें।