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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष बनाए गए हैं। बता दें कि इससे पहले पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का नाम भी इस पद के लिए लिया जा रहा था, लेकिन उन्होंने खुद ही ऐसी खबरों को अफवाह करार दिया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद एक जून से खाली था, जिस पर अब सोमवार को नियुक्ति हो गई है।
रिटायर्ड न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा का बीते एक जून को कार्यकाल पूरा हो गया था। जिसके बाद से ही एनएचआरसी अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के पद छोड़ने के बाद एनएचआरसी की सदस्य विजया भारती सयानी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था। एनएचआरसी को नियंत्रित करने वाले कानून के मुताबिक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष का चयन करने वाली समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। समिति में लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता और राज्यसभा के उपसभापति सदस्य होते हैं।
बुधवार को जब मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के नए प्रमुख के नामों पर विचार करने के लिए बैठक हो रही थी, तब से ऐसी खबरें चल रही थीं कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ इस पद के लिए दौड़ में हैं। हालांकि, जस्टिस चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम पर विचार किए जाने की खबरों को खारिज कर दिया था। चंद्रचूड़ ने कहा कि कि वह एक निजी व्यक्ति के रूप में अपने सेवानिवृत्त जीवन का आनंद ले रहे हैं और ये महज अफवाहें हैं।
बता दें, कि एनएचआरसी का अध्यक्ष या तो भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं। चूंकि अध्यक्ष का पद रिक्त था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश विजया भारती सयानी आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही थीं। इससे पहले यह पद पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के पास था, जिन्हें 2016 में नियुक्त किया गया था। पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन ने भी 2010 से 2016 के बीच अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
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