केरल के वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी प्रियंका गांधी ने प्रचार अभियान चलाया। नाइकेटी में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी का बेटा और बेटी भी नजर आएं।
केरल के वायनाड लोकसभा उपचुनाव (Wayanad Bypoll) के लिए कांग्रेस प्रत्याशी प्रियंका गांधी ने प्रचार अभियान चलाया। नाइकेटी में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का बेटा और बेटी भी नजर आएं। चुनाव प्रचार के दौरान सभा को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरे भाई राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था कि मुझे वायनाड से प्यार हो जाएगा। अब मुझे समझ में आया कि आप मेरे भाई से कितना प्यार करते हैं। आपके बीच का रिश्ता राजनीति में सचमुच विशेष और दुर्लभ है। पूरे देश के लिए गहरे प्रेम, निष्ठा और ईमानदारी का एक शानदार उदाहरण है जो एक नेता और लोगों के बीच आदर्श रिश्ते को दर्शाता है।
‘इंदिरा गांधी आदिवासियों से रखती थीं लगाव’
प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरी दादी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) जी भारत के आदिवासियों के प्रति गहरा सम्मान और लगाव रखती थीं। उनका दृढ़ विश्वास था कि प्रकृति से जुड़ी उनकी संतुलित जीवनशैली ही जीवन जीने का आदर्श तरीका है। इसे समझते हुए उन्होंने उनके कल्याण के लिए अथक प्रयास किए। बाद में यूपीए सरकार ने वन अधिकार अधिनियम, मनरेगा और शिक्षा का अधिकार जैसी ऐतिहासिक पहलों को लागू करके उनकी विरासत को आगे बढ़ाया, जिसका उद्देश्य सबसे गरीब लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना था।
‘BJP आदिवासियों पर हमला कर रही है’
कांग्रेस प्रत्याशी प्रियंका गांधी ने कहा पूरे देश में बीजेपी आदिवासी लोगों के अधिकारों पर हमला कर रही है, उनकी जमीन छीन रही है और उसे अपने बड़े व्यवसायी मित्रों को सौंप रही है। बीजेपी की राजनीति विभाजनकारी और नकारात्मकता पर आधारित है, वह ऐसी नीतियां बनाती है जिनसे केवल कुछ बड़े उद्योगपतियों को लाभ मिलता है, जिसके कारण पूरे भारत में किसान परेशान हैं।
‘कृषि को मजबूत करने के लिए काम करना चाहती हूं’
प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं आपके साथ मिलकर पर्यटन को विकसित करने और कृषि को मजबूत करने के लिए काम करना चाहती हूँ, ताकि आपकी समस्याओं का समाधान हो सके। मेरे भाई राहुल गांधी ने आपकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। आपके प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ाया है। यद्यपि उन्हें जाने का दुख था, लेकिन उन्हें विश्वास था कि मैं उसी समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ उनका काम जारी रखूंगी।