चेक रिपब्लिक की सर्वोच्च अदालत ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpawant Singh Pannu) की कथित हत्या की साजिश में वांछित भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमरीका प्रत्यर्पण पर रोक लगा दी है। इससे पहले चेक रिपब्लिक की निचली अदालतों ने गुप्ता के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। अमरीका के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि गुप्ता ने एक कॉन्ट्रैक्ट किलर को पन्नू की हत्या के लिए पैसे दिए थे। इस मामले की जांच के लिए भारत ने भी एक उच्च स्तरीय जांच टीम का गठन किया है।
प्रत्यर्पण से होगा नुकसान
प्राग की संवैधानिक अदालत ने कहा कि आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए गुप्ता के अमरीका प्रत्यर्पण से उसे किसी अन्य की तुलना में बहुत अधिक नुकसान होगा। कोर्ट ने कहा कि यह कार्रवाई अपरिवर्तनीय होगी, भले ही यह गुप्ता की चुनौती को बरकरार रखे। चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता मार्केटा एंड्रोवा ने बताया कि इस अंतरिम निर्णय का मतलब है कि न्याय मंत्री तब तक प्रत्यर्पण या इनकार पर निर्णय नहीं ले सकते जब तक कि संवैधानिक न्यायालय गुप्ता द्वारा दायर शिकायत पर निर्णय नहीं लेता। गुप्ता ने प्राग में निचली अदालतों के फैसलों को चुनौती दी थी, जिसमें उनके अमरीका प्रत्यर्पण का फैसला सुनाया था।
आदेश से मौलिक अधिकारों की रक्षा
इस मामले में चेक संवैधानिक न्यायालय के प्रोटोकॉल विभाग के प्रमुख पावेल ड्वोरक ने बताया कि विवादित निर्णयों की प्रवर्तनीयता को निलंबित करने का मतलब है कि संवैधानिक न्यायालय को मामले के बारे में अभी और जानकारी की आवश्यकता है। यह शिकायतकर्ता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है जिनके अधिकारों का अपरिवर्तनीय रूप से उल्लंघन किया जा सकता है। इस मामले में अब अदालत के निर्णय के बाद ही आगे की कार्रवाई की जा सकेंगी।