प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा पर सुबह रवाना हुए। सबसे पहले वो पोलैंड जाएंगे।वहां से वो 23 अगस्त को यूक्रेन की यात्रा पर जाएंगे।पिछले 45 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा है।वहीं यह राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा होगी।इससे पहले पीएम मोदी जुलाई के दूसरे हफ्ते में रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा पर गए थे।भारत और पोलैंड के राजनयिक संबंध में 1954 में स्थापित हुए थे। पीएम मोदी से पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने 1955, इंदिरा गांधी ने 1967 और मोरारजी देसाई ने 1979 में पोलैंड की यात्रा की थी।भारत यूरोप के दूसरे देशों से संबंध सुधारने पर जोर दे रहा है। प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले दो कार्यकाल में नरेंद्र मोदी ने 27 बार यूरोप की यात्रा की और 37 यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों और शासकों से मुलाकात की।वहीं डॉक्टर एस जयशंकर ने विदेश मंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में 29 बार यूरोप की यात्रा की और अपने 36 यूरोपीय समकक्षों की दिल्ली में अगवानी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड और यूक्रेन यात्रा को इसी बदली हुई रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है।पीएम मोदी ने इसी रणनीति के तहत ऑस्ट्रिया की भी यात्रा की थी।
भारत-पोलैंड संबंध
भारत और पोलैंड के बीच व्यापार तेजी से बढा है।दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में पिछले 10 सालों (2013-2023)में 192 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। भारत और पोलैंड ने बीते साल 2023 में 5.72 अरब डॉलर (करीब 48 हजार करोड़ रुपए) का आयात-निर्यात किया। इसमें भारत से पोलैंड को 3.95 अरब डॉलर (33 हजार 146 करोड़) का निर्यात और पोलैंड से 1.76 अरब डॉलर (14 हजार 770 करोड़) का आयात शामिल है। भारत ने पोलैंड में तीन अरब डॉलर (25 हजार 178 करोड़) से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और आईसीटी (सूचना-संचार प्रौद्योगिकी) कंपनियां प्रमुख हैं।इन भारतीय कंपनियों ने पोलैंड में करीब 10 हजार लोगों को रोजगार दिया हुआ है। इंफोसिस और एचसीएल जैसी कंपनियों की पोलैंड के बाजार में काफी पकड़ है। पोलैंड का भारत में 685 मिलियन डॉलर (पांच हजार 749 करोड़) का निवेश है।अगले साल पोलैंड यूरोपियन यूनियन काउंसिल का अध्यक्ष बनने वाला है। ऐसे में राजनीतिक नजरिए से भी पोलैंड के साथ अच्छे संबंध भारत के लिए जरूरी है।
भारत और पोलैंड के ऐतिहासिक संबंध
जामनगर और कोल्हापुर के महाराजाओं के स्मारक पोलैंड में बने हुए हैं।महाराजा जाम साहेब दिग्विजय सिंहजी रणजीतसिंहजी जाडेजा ने द्वितिय विश्वयुद्ध के दौरान पोलैंड के एक हजार से अधिक शरणार्थियों को शरण दी थी। इनमें से अधिकांश बच्चे थे। ये शरणार्थी 1942 से 1948 तक वहां रहे थे। भारत में रहे इन लोगों ने बाद में एसोशिएशन ऑफ पोल्स इन इंडिया के नाम से एक संगठन बनाया था। ये लोग हर दो साल पर अपना सम्मेलन करते है। महाराज की याद में एक स्मारक 2014 में वारसॉ में बनाया गया था।पोलैंड में आठ प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के नाम जामनगर के महाराजा के नाम पर रखा गया है। उन्हें वहां 'गुड महाराजा' माना जाता है।
भारत और पोलैंड के संस्कृति संबंध
पोलैंड में संस्कृत बहुत पहले से ही पढ़ाई जा रही है। पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी में ही संस्कृत के ग्रंथों का पोलिश भाषा में अनुवाद किया था। क्राको में स्थित जगियेलोनियन विश्वविद्यालय को पोलैंड का सबसे पुराना विश्वविद्यालय माना जाता है।वह करीब 600 साल पुराना है। इस विश्वविद्यालय में 1860-61 से संस्कृत का अध्ययन किया जा रहा है। साल 1893 में वहां संस्कृत पीठ की स्थापना की गई थी। वारसॉ विश्वविद्यालय में 1932 में स्थापित ओरिएंटल इंस्टीट्यूट का इंडोलॉजी विभाग मध्य यूरोप में भारतीय अध्ययन का सबसे बड़ा केंद्र है। भारतीय भाषाओं, साहित्य, संस्कृति का अध्ययन पोलैंड के कई दूसरे विश्वविद्यालयों में भी किया जाता है।दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने में योग का भी बड़ा योगदान है। पोलैंड में योग का इतिहास 100 साल से अधिक पुराना है। ऐसा अनुमान है कि पोलैंड में तीन लाख से अधिक लोग योगाभ्यास करते हैं। वहां करीब एक हजार योग सिखाने वाले केंद्र चलते हैं, जिनंमें आठ हजार शिक्षक योग सिखाते हैं।